Black Pepper : काली मिर्च के फायदे, उपयोग और औषधीय गुण

सेवा स्नेह वैलनेस सॉल्यूशंस द्वारा कई वर्षों से ग्राहकों को हर्बल प्रसादम उत्पाद उपलब्ध करवाया जा रहा है। हर्बल प्रसादम एक अद्भुत हर्बल पेय है। यह उत्पाद 20 से अधिक आयुर्वेदिक, हर्बल व प्राकृतिक जड़ी बूटियों से निर्मित हर्बल लेमन टी है। हर्बल प्रसादम में उपयोग की गई प्राकृतिक औषधि एवं मसाले अनेकों प्रकार से हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ देते हैं, हर्बल प्रसादम में उपयोग की गई 20 से अधिक प्राकृतिक औषधियों में से एक है काली मिर्च। आइए जानते हैं काली मिर्च के सेवन से हमें किस प्रकार से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और हर्बल प्रसादम लेमन टी के निरंतर सेवन से कैसे आप काली मिर्च के साथ-साथ अन्य औषधियों का भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

Black Pepper : काली मिर्च के फायदे, उपयोग और औषधीय गुण

भारत में ऐसा कोई घर नहीं होगा जहाँ काली मिर्च का प्रयोग नहीं होता हो। यह मसालों (Spice) की रानी मानी जाती है। चाहे हम कोई भी सब्जी बनाएं। सब्जी सूखी हो या रसेदार या फिर नमकीन से लेकर सूप आदि तक, हरेक व्यंजन में काली मरिच का प्रयोग जरूर होता है। भोजन में काली मिर्च का इस्तेमाल केवल स्वाद के लिए नहीं किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक है। काली मिर्च एक अच्छी औषधि भी है। लंबे समय से आयुर्वेद में इसका औषधीय प्रयोग होता रहा है। वास्तव में काली मिर्च के औषधीय गुणों के कारण ही इसे भोजन में शामिल किया जाता है। काली मरिच का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।

काली मिर्च के काफी अधिक औषधीय लाभ हैं। यह वात और कफ को नष्ट करती है और कफ तथा वायु को निकालती है। यह भूख बढ़ाती है, भोजन को पचाती है, लीवर को स्वस्थत बनाती है और दर्द तथा पेट के कीड़ों को खत्म करती है। यह पेशाब बढ़ाती है और दमे को नष्ट करती है। तीखा और गरम होने के कारण यह मुँह में लार पैदा करती है और शरीर के समस्त स्रोतों से मलों को बाहर निकाल कर स्रोतों को शुद्ध करती है। इसे प्रमाथी द्रव्यों में प्रधान माना गया है। आइए जानते हैं कि आप बीमारियों को ठीक करने के लिए काली मिर्च का उपयोग कैसे कर सकते हैं।

क्या है काली मिर्च?
काली मिर्च (Marich Herb) एक औषधीय मसाला (Spice) है। इसे काली मिर्च भी कहते हैं। यह दिखने में थोड़ी छोटी, गोल और काले रंग की होती है। इसका स्वाद काफी तीखा होता है। इसकी लता बहुत समय तक जीवित रहने वाली होती है। यह पान के जैसे पत्तों वाली, बहुत तेजी से फैलने वाली और कोमल लता होती है। इसकी लता मजबूत सहारे से लिपट कर ऊपर बढ़ती है।

एक वर्ष में इसकी लगभग दो उपज प्राप्त होती हैं। पहली उपज अगस्त-सितम्बर में और दूसरी मार्च-अप्रैल में। बाजारों में दो प्रकार की मिर्च बिकती है – सफेद मिर्च और काली मिर्च। कुछ लोग सफेद मिर्च को काली मिर्च की एक विशेष जाति मानते हैं। कोई सहिजन (Moringa) के बीजों को ही सफेद मिर्च मान लेते हैं।

सफेद मिर्च काली मिर्च (Marich Herb) का ही एक अलग रूप है। आधे पके फलों की काली मरिच बनती है तथा पूरे पके फलों को पानी में भिगोकर, हाथ से मसल कर ऊपर का छिल्का उतार देने से वह सफेद मिर्च बन जाती है। छिल्का हट जाने से इसकी गरम तासीर कुछ कम हो जाती है तथा गुणों में कुछ सौम्यता आ जाती है।

अनेक भाषाओं में मिर्च के नाम (Black Pepper Called in Different Languages)
काली मरिच (Marich Herb) का वानस्पतिक यानी लैटिन भाषा में नाम पाइपर नाइग्रम् (Piper nigrum Linn.) है। यह पाइपरेसी (Piperaceae) कुल का पौधा है। अंग्रेजी और विविध भारतीय भाषाओं में इसके नाम निम्नानुसार हैं-

Black Pepper in –

Hindi – मरिच, मिरच, गोल मरिच, काली मरिच, दक्षिणी मरिच, चोखा मिरच
English – ब्लैक पेपर (Black Pepper), कॉमन पेपर (Common pepper), पेपर (Pepper)
Sanskrit – मरिच, वेल्लज, उष्ण, ऊषण, कृष्ण, पवित्र, श्याम, वेणुज, यवनप्रिय, शुद्ध, कोलक, वरिष्ठ, वृत्तफल, शाकाङ्ग,वेणुक, कटुक, शिरावृत्त, सर्वहित
Oriya – कान्चा गोट मिर्चा (Kancha-got-mircha)
Urdu – काली मरिच (Kali mirch)
Konkani – मिरीअम (Miriam)
Kannada – ओल्ले मोणसु (Olle monasu)
Gujarati – मरितीखा (Maritikha), मिरी (Miri)
Telugu- मरिचमु (Marichamu), षव्यमु (Shavyamu), मीरीयालू (Miriyalu)
Tamil – मिलागु (Milagu), मोलह शेव्वियम् (Molah shevviyam)
Bengali – मरिच (Marich), गोल मोरिच (Gol morich)
Punjabi – काली मरिच (Kali marich), गोल मिरिच (Gol mirich)
Marathi – मिरे (Mire), काली मिरीं (Kali mirin)
Malayalam – लह (Lah), कुरू मुलक (Kuru mulak)
Arabic – फूलफिल असवद (Fulfil aswad), बाबेरी (Babary)
Persian – फूलफूल् अस्वद (Phulphul asvad)
काली मिर्च के औषधीय प्रयोग से लाभ
काली मिर्च का भोजन में प्रयोग करने से भी आपको बहुत लाभ मिलता है। उदाहरण के लिए, ठंड के दिनों में बनाए जाने वाले सभी पकवानों में काली मिर्च का उपयोग किया जाता है ताकि ठंड और गले की बीमारियों से रक्षा हो सके। काली मरिच नपुंसकता, रजोरोध यानी मासिक धर्म के न आने, चर्म रोग, बुखार तथा कुष्ठ रोग आदि में लाभकारी है। आँखों के लिए यह विशेष हितकारी होती है। जोड़ों का दर्द, गठिया, लकवा एवं खुजली आदि में काली मरिच में पकाए तेल की मालिश करने से बहुत लाभ होता है। विभिन्न रोगों में इसका उपयोग करने की विधि यहाँ प्रस्तुत हैः-

 

सिर दर्द दूर करे काली मिर्च का सेवन
एक काली मिर्च (Marich Herb) को सुई की नोंक पर लगाकर उसे दीपक में जला लें। उसमें से निकलने वाले धुएं को सूंघने से सिरदर्द में आराम होता है। इससे हिचकी भी बंद होती है।

भृंगराज के रस अथवा चावलों के पानी के साथ काली मरिच को पीसकर माथे पर लेप करने से आधासीसी का दर्द यानी माइग्रेन भी ठीक होता है।

सिर के जुए (डैंड्रफ या रूसी) भगाए काली मिर्च का प्रयोग
बालों में जूँ हो जाने पर 10-12 सीताफल के बीज और 5-6 काली मिर्चों को पीस कर सरसों के तेल में मिला लें। इसे रात में सोने से पहले बालों की जड़ों में लगा लें। सुबह बाल धोकर साफ कर लें। जूं नष्ट हो जाएगी।

सिर के बाल यदि झड़तें हो तो काली मिर्च को प्याज व नमक के साथ पीसकर लगाने से लाभ होता है।

 

खाँसी-जुकाम दूर करे काली मिर्च का सेवन
काली मिर्च के 2 ग्राम चूर्ण को गर्म दूध तथा मिश्री के साथ पी लेने अथवा इसके 7 दाने निगलने से जुकाम तथा खाँसी में लाभ होता है।

50 ग्राम दही, 15-20 ग्राम गुड़ और एक-डेढ़ ग्राम काली मिर्च चूर्ण (Marich Herb) को मिला लें। इसे दिन में 3-4 बार सेवन करने से जुकाम में लाभ होता है।

 

आँखों की बीमारी में फायदेमंद काली मिर्च का उपयोग
काली मिर्च को दही के साथ पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी में लाभ होता है। इसे अत्यन्त सावधानीपूर्वक बाहर-बाहर ही लगाएं।
आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए रोजाना सुबह आधा से 1 ग्राम तक काली-मिर्च में 1 चम्मच घी तथा आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर चाटें। बाद में दूध पीएं। इससे आंखों की बीमारी में लाभ होता है।
आँखों की पलकों पर अगर फुंसी हो जाए तो काली मिर्च को पानी में घिसकर लेप करने से फुंसी पककर फूट जाती है।
काली मिर्च के आधे ग्राम चूर्ण को एक चम्मच देशी घी में मिलाकर खाने से अनेक प्रकार के नेत्र रोगों का खात्मा होता है।


दांत दर्द में आराम दिलाये काली मिर्च का इस्तेमाल
काली मिर्च के 1-2 ग्राम चूर्ण को 3-4 जामुन या अमरूद के पत्तों या पोस्तदानों के साथ पीस लें। इससे कुल्ला करने से दांत दर्द ठीक होता है।
गले के रोग व आवाज बैठ जाने पर भी यह प्रयोग लाभप्रद है।
सेंधा नमक, काली मिर्च (Marich Herb), शहद तथा नींबू के रस को मिला कर तालू पर लेप करने से मुँह के छाले में लाभ होता है।


काली मिर्च का सेवन से दमा-खाँसी का इलाज
2-3 ग्राम काली मरिच चूर्ण को शहद और घी (असमान मात्रा में) में मिला लें। इसे सुबह-शाम चाटने से सर्दी, सामान्य खाँसी, दमा और सीने का दर्द मिटता है। इससे फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है।
200 मिली गाय के दूध में 2 ग्राम काली मरिच चूर्ण को पकाकर पिलाने से दमा-खाँसी में लाभ होता है।
यदि खाँसी बार-बार उठती हो, भोजन निगलने में कष्ट हो तो दिन में 2-3 बार काली मिर्च के हल्के काढ़े से कुल्ला करें।
काली मिर्च (Marich Herb) चूर्ण 2 भाग, पीपली चूर्ण 2 भाग, अनार की छाल 4 भाग तथा जौ एक भाग का चूर्ण बना लें। इसमें 8 भाग गुड़ मिलाकर 1-1 ग्राम की गोलियाँ बना लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से गले का दर्द (कष्टदायक खाँसी) में लाभ होता है।
गले की खराश व खाँसी में 2-3 काली मिर्च मुंह में रखकर चूसने मात्र से लाभ होता है।
दस्त रोकने के लिए करें काली मिर्च का प्रयोग
एक भाग काली मिर्च की चूर्ण तथा एक भाग भुनी हींग को अच्छी तरह खरल कर लें। इसमें दो भाग शुद्ध देशी कपूर मिलाकर 125 मि.ग्राम की गोलियाँ बना लें। इसे आधे घंटे के अंतर से 1-1 गोली देने से हैजे की शुरुआती (प्रथम) अवस्था में लाभ होता है।
काली मिर्च की चूर्ण 1 ग्राम तथा भुनी हींग 1 ग्राम को अच्छी तरह खरल कर लें। इसमें 3 ग्राम अफीम मिलाकर शहद में घोटकर 12 गोलियाँ बना लें। कर 1-1 गोली 1 घंटे के अंतर से दें। बहुत समय तक न दें। इससे पेचिश में भी अत्यन्त लाभ होता है। अफीम मिले होने के कारण इसका प्रयोग सावधानी से करें।
काली मरिच चूर्ण 1/2 ग्राम, हींग 1/4 ग्राम तथा अफीम 100 मिग्रा को मिला लें। इसे जल या शहद के साथ सुबह, दोपहर तथा सायं सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।
पेट के रोगों में फायदेमंद काली मिर्च का उपयोग
2-3 ग्राम काली मरिच चूर्ण को 1 कप छाछ के साथ सुबह खाली पेट लेने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
8-10 काली मिर्च को 5-7 ग्राम शिरीष के पत्तों के साथ पीसकर छान लें। इसे पीने से गैस के कारण होने वाले पेट दर्द और पेट फूलने में आराम मिलता है।
एक कप पानी में आधा नींबू निचोड़ लें। इसमें 5-6 काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर भोजन के बाद सुबह-शाम पीने से पैट की गैस, भूख का घटना-बढ़ना आदि में लाभ होता है।
काली मरिच के चूर्ण के साथ बराबर भाग सोंठ, पीपली, जीरा और सेंधा नमक मिला लें। 1-1 ग्राम की मात्रा में, भोजन के बाद गर्म जल के साथ लेने से अपच तथा बदहजमी में लाभ होता है।
काली मरिच, सोंठ, पीपल तथा हरड़ चूर्ण मिलाकर शहद के साथ देने से अथवा इसके काढ़े को पीने से अपच तथा पेट की गैस में लाभ होता है।
काली मिर्च के सेवन से बवासीर में फायदा
दो ग्राम काली मरिच चूर्ण, 1 ग्राम भुना जीरा, 15 ग्राम शहद या शक्कर को मिला लें। दो बार छाछ के साथ या गर्म जल के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
काली मिर्च चूर्ण 25 ग्राम, भुना जीरा चूर्ण 35 ग्राम और शुद्ध शहद 180 ग्राम को मिला लें। इसे अवलेह (चटनी) बनाकर रखें। इस अवलेह को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
काली मिर्च (Marich Herb) और जीरे के मिश्रण में सेंधा नमक मिला लें। इसे दिन में दो बार छाछ के साथ 3-4 मास तक सेवन करते रहने से बवासीर में आराम मिलता है। इससे कमजोरी या वृद्धावस्था के कारण हुए बवासीर या गुदभ्रंश (काँच निकलना) ठीक होते हैं। इससे पाचन व जठराग्नि ठीक रहती है। कब्ज और पैट की गैस में भी यह प्रयोग लाभप्रद है।
एक ग्राम काली मिर्च चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार प्रयोग करें। इससे गुदा का बाहर निकलना बंद हो जाता है।
मूत्र रोग (पेशाब संबंधी बीमारी) में फायदेमंद मिर्च का इस्तेमाल
एक ग्राम काली मिर्च (Marich Herb) और बराबर मात्रा में खीरा या ककड़ी के बीज को 10-15 मिली पानी के साथ पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर छानकर पिलाएं। इससे पेशाब में जलन तथा पेशाब में दर्द आदि की परेशानी में लाभ होता है।

नपुंसकता दूर करे काली मिर्च का सेवन
एक गिलास दूध में 8-10 काली मरिच को डाल लें। इसे अच्छी तरह उबालकर, सुबह-शाम नियमपूर्वक सेवन करने से वीर्य विकार ठीक होता है। गर्मी के मौसम में मात्रा कम की जा सकती है।

घाव सुखाने के लिए करें मिर्च का उपयोग
काली मरिच को पानी में पीसकर फोड़े-फुंसियों व सूजन पर लेप करने से घाव सुख जाता है। इससे घाव जल्दी भर जाते हैं और सूजन दूर होती है।

हिस्टीरिया में फायदेमंद मिर्च का प्रयोग
3 ग्राम वच चूर्ण में 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। इसे खट्टी दही के साथ सुबह खाली पेट सेवन करने से हिस्टीरिया में लाभ होता है।

चेहरे के लकवा में लाभकारी है मिर्च का प्रयोग
अर्दित रोग यानी फेशियल पैरालिसिस में चेहरे के अंगों में लकवा मार देता है। यदि जीभ में जकड़न हो तो मिर्च (Marich Herb) के चूर्ण को जीभ पर घिसने से लाभ होता है।

काली मिर्च चूर्ण को किसी भी वातशामक तेल में मिला लें। इसे लकवाग्रस्त अंग पर मालिश करने से बहुत लाभ होता है।


कमजोरी दूर कर शारीरिक ताकत बढ़ाए काली मिर्च का सेवन
कमजोरी आलस्य, उदासीनता आदि दूर करने के लिए काली मिर्च (Marich Herb) के 4-5 दाने, सोंठ, दालचीनी, लौंग और इलायची थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिला लें। इसे चाय की तरह उबाल लें। इसमें दूध और शक्कर मिलाकर पीने से लाभ होता है।

बुखार उतारने में काली मिर्च का प्रयोग
1-3 ग्राम काली मिर्च चूर्ण में आधा लीटर पानी और 20 ग्राम मिश्री मिलाकर आठवाँ भाग शेष रहने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। इसे सुबह, दोपहर तथा शाम पिलाने से साधारण बुखार यानी वायरल फीवर में लाभ होता है।
5 दाने काली मरिच, अजवायन एक ग्राम और हरी गिलोय 10 ग्राम, सबको 250 मिली पानी में पीस, छानकर पिलाने से तेज बुखार में लाभ होता है।
एक ग्राम काली मिर्च चूर्ण (Marich Herb)को शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से गैस के कारण होने वाला बुखार तथा पेट दर्द दूर होता है ।


इस्तेमाल के लिए काली मिर्च के उपयोगी हिस्से
(1) फल

काली मिर्च के सेवन की मात्रा
चूर्ण – 1-2 ग्राम

औषधि के रूप में काली मरिच (Marich Herb) का इस्तेमाल से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।

काली मिर्च से नुकसान
इन रोगों की अवस्था में काली मिर्च का उपयोग नहीं करना चाहिएः-

घाव
एसिडिटी
खूनी बवासीर
गर्भावस्था की अवस्था
काली मिर्च कहाँ पाई या उगाई जाती है?
काली मरिच (Marich Herb) के पौधे का मूल स्थान दक्षिण भारत ही माना जाता है। पूरी दुनिया में काली मरिच की पैदावार सबसे ज्यादा भारत में हीं होती है। भारत से बाहर इंडोनेशिया, बोर्नियो, इंडोचीन, मलय, लंका और स्याम इत्यादि देशों में भी इसकी खेती की जाती है। कुछ वन प्रदेशों में यह स्वयं उत्पन्न होती है, लेकिन दक्षिणी भारत के उष्ण और आर्द्र भागों में काली मिर्च की बेलें बोई जाती हैं। काली मिर्च (Marich Herb) के कारण ही एक समय भारत विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति था।

हर्बल प्रसादम का निरंतर यही प्रयास रहा है कि इस प्रकार से उचित गुणवत्ता वाली प्राकृतिक औषधियां एवं मसालों का मिश्रण करके ग्राहकों तक शुद्ध उत्पाद पहुंचाएं तथा हर्बल प्रसादम सेवन करने वाले शरीर को प्रकृति द्वारा प्राप्त औषधियों का उचित लाभ मिलता रहे। यदि आप अभी तक हर्बल प्रसादम लेमन टी के सेवन से वंचित रहे हैं तो अब बिना देरी किये (+91) 9868990099 नंबर पर हमसे जुड़ें और हर्बल प्रसादम से संबंधित अन्य जानकारी या घर बैठे आर्डर प्राप्त करने के लिए हर्बल प्रसादम के ग्राहक सेवा केंद्र में कॉल करें।

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